*ज़माना* कल भी *खराब* था ;
और *आज* भी *खराब* है ;
*द्रौपदी* का *चीर हरण* करनेवाले को; *भूल गये लोग* ❗
पर
जिसने *सीता* को *हाथ* भी *नहीं लगाया* ; वो आज तक *जल रहा है* !!
*रावण बनना भी कहां आसान...*
*रावण* में *अहंकार* था तो *पश्चाताप* भी था
*रावण* में *वासना* थी तो *संयम* भी था
*रावण* में *सीता* के *अपहरण* की *ताकत* थी
तो बिना सहमति *परस्त्री* को
*स्पर्श* न करने का भी *संकल्प* था
*सीता* जीवित मिली ये *राम* की ही ताकत थी, पर *पवित्र* मिली ये *रावण* की भी मर्यादा थी
*राम*,
तुम्हारे *युग* का *रावण अच्छा था*.. *दस के दस* चेहरे, सब *बाहर रखता था*...!!
*महसूस* किया है कभी
उस *जलते हुए रावण का दुःख*
जो *सामने खड़ी भीड़* से
बार बार *पूछ रहा था*....
*तुम में से कोई राम है क्या ❓*
🙏🙏