*शिवराज-महाराज के संयुक्त राजनैतिक दौरे के साथ कांग्रेस का भू-माफिया सिंधिया परिवार पर बडा हमला.*
*शिवाजी गृह निर्माण संस्था के करोड़ों रूपयों के भूमि घोटाले को लेकर सिंधिया दें जबाब.*
*भूमिहीन ज्योतिरादित्य सिंधिया व बहन प्रियवंदा भी संस्था की सदस्य- के.के. मिश्रा*
*ग्वालियर- 10 सितम्बर 2020,*
*प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी (ग्वालियर-चम्बल संभाग) के.के. मिश्रा ने ग्वालियर-चम्बल अंचल में उपचुनाव वाले क्षेत्रों में लोकार्पण और विकास कार्यो को लेकर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान व भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के आज से प्रारम्भ संयुक्त राजनैतिक दौरे के साथ सिंधिया परिवार को भू-माफिया बताते हुये पहले बडे राजनैतिक हमले की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि यह मुहिम आगे भी जारी रहेगी।*
*मिश्रा ने सिंधिया परिवार को भू-माफिया बताते हुये कहा कि शिवाजी गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, ग्वालियर जिसका पंजीयन क्र. डी.आर./ग्वा./66 दिनांक- 23.06.1976 है, ने 28 अगस्त 1976 को ग्वालियर स्थित जयविलास परिसर की 5 लाख वर्गफुट भूमि दिवंगत स्व. माधवराव सिंधिया से दो विक्रय पत्रों के माध्यम से खरीदी। रकवा 3 लाख 20 हजार वर्गफुट भूमि मूल्य 4 लाख 12 हजार 500 रूपये, जिसकी रजिस्ट्री क्रमांक- 2955, 28 अगस्त 1976 और 1 लाख 70 हजार वर्गफुट भूमि जिसकी रजिस्ट्री क्रमांक- 2955, 30 अगस्त 1976 को करवाई गई। भूमि के डीड ऑफ सेल (Deed of sale) के अनुसार संस्था ने श्री सिंधिया को कुल क्रय राशि 6 लाख 45 हजार रूपयों का पूर्ण भुगतान न करते हुये रजिस्ट्री करवा ली और इस भुगतान राशि को चार भागों में एक वर्ष के भीतर अदा करना तय किया गया। संभवतः यह भुगतान निर्धारित समयावधि में नहीं हो सका। यही कारण रहा कि इस क्रय की गई भूमि के भुगतान को लेकर वर्ष 1989-90 में 20 लाख 16 हजार 258.54 रूपये का ब्याज चुकाया गया, जो क्रय की गई भूमि के मूल्य से तीन गुना से भी अधिक है! इससे बडा फ्राड सहकारी क्षेत्र में ढूंढे नहीं मिलेगा! इससे स्पष्ट हो रहा है कि जिस डीड ऑफ सेल (Deed of sale) में 1976 में भुगतान की राशि को चार भागों में भुगतान किये जाने का उल्लेख किया गया था। लिहाजा, पूर्ण भुगतान नहीं होने की इतनी लम्बी अवधि बीत जाने के बाद भी रजिस्ट्री अवैध क्यों नहीं हुई? यहां यह भी खोज का विषय है कि माधवराव सिंधिया ने अपने आयकर की जानकारी में इस ब्याज राशि का उल्लेख किया है या नहीं?*
*मिश्रा ने कहा कि इस क्रय की गई भूमि में जहां भूमि के सर्वे क्रमांक का कहीं भी उल्लेख नहीं है, दो सैकडा से अधिक सदस्यों वाली इस संस्था में कई सदस्यों के नामों में व्यापक हेराफेरी की गई, एक प्लॉट कई लोगों को बेचा गया, संस्था में उन अति प्रभावित सदस्यों को भी शामिल किया गया जिन पर न्याय-अन्याय, भ्रष्टाचार-ईमानदारी की स्पष्ट व्याख्या कर दोषियों को दण्डित किये जाने की जिम्मेदारी है! संभवतः ऐसा इसलिये किया गया होगा कि इसके दोषी वैधानिक कठिनाई/दण्ड से बच सके? एक ही दिन में सैकडों सदस्यों की रजिस्ट्रियां (जब ई-रजिस्ट्री का प्रचलन भी नहीं था) देर रात तक रजिस्ट्रार ने महल में ही बैठ कर की? जिनकी रजिस्ट्रियां हुई उन सदस्यों में से किसी का भी भूमिहीन होने का शपथ-पत्र नहीं लिया गया! संस्था में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सदस्य क्रमांक- 114 को 7/60x58.14 और बहन श्रीमति प्रियवंदा सदस्यता क्रमांक- 116 को भी 19/60X40 क्षेत्रफल का भूखण्ड प्रदान किया गया! क्या सिंधिया परिवार और महल में रहने वाले ये दोनों परिजन भूमिहीनों में शामिल है? यदि है तो आज वह भूखण्ड कहां है? क्या श्री सिंधिया ने अपने द्वारा लड़े गये विभिन्न चुनावों के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष सम्पत्ति विवरण प्रस्तुत करते हुये अपने शपथ-पत्र में अपनी इस विषयक जानकारी दी है या नहीं?*
*मिश्रा ने कहा कि इस संस्था में हुये व्यापक भ्रष्टाचार/अनियमितता/घोटाले को लेकर श्री रामेश्वर राजपूत नामक व्यक्ति द्वारा 3 जून 2010 को की गई शिकायत के बाद आई जांच रिपोर्ट और सूचना का आधार ऑडिट रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आये है वे चौकाने वाले होकर इस प्रकार है-*
*1. उपलब्ध जांच रिपोर्ट में 28 सितम्बर 2010 के अनुसार हुये आवंटन जिसमें 293 सदस्यों को 293 भूखण्ड जिनका क्षेत्रफल 3,96,927.29 वर्गफुट स्कूल हेतु 58,394.00 वर्गफुट, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स 49,350.00 वर्गफुट सिनेमा हॉल हेतु आरक्षित 39,964.00 वर्गफुट कुल भूमि 544,635.29 वर्गफुट होती है जबकि क्रय की गई भूमि 3 लाख 65 हजार 077 वर्गफुट है तब 5 लाख 44 हजार 635.29 वर्गफुट भूमि को कैसे बेच दिया गया, इसके अनुसार सडकें तथा पार्क की अतिरिक्त भूमि अलग है? तब 5 लाख वर्गफुट से अधिक भूमि और उसका रकवा कैसे बढता गया?*
*2. संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष श्री एम.पी. सिंह थे, जो स्व. माधराव सिंधिया के ए.डी.सी. थे और उनके विधि सलाहकार श्री एन. के. मोदी, तत्कालीन अधिवक्ता थे जो बाद में माननीय न्यायधीश म.प्र. उच्च न्यायालय बने। इसकारण सहकारिता विभाग के अधिकारीगण संस्था का ऑडिट समय पर कराने का साहस नहीं जुटा पाये इस तथ्य का उल्लेख भी ऑडिट रिपोर्ट में है। अतः संस्था का वर्ष 1989-90 से 2000-03 तक 14 वर्ष का ऑडिट माह दिसम्बर 2003 तक हो सका। गंभीर वित्तीय अनियमितता बावत विशेष प्रतिवेदन भी भय के कारण दिसम्बर 2003 में हो पाया। समय पर ऑडिट कराने हेतु संस्था का रिकॉर्ड धारा-57 में जब्त करने का रजिस्ट्रार अधिकार रखते है। धारा-76 में आपराधिक प्रकरण दायर कर दंडित करने का भी उन्हे अधिकार है जिसका उपयोग राजनैतिक दबाबवश नहीं हो सका?*
*3. म.प्र.सहकारी अधिनियम 1960 की धारा-58 के अंतर्गत पारित ऑडिट नोट के अनुसार वर्षारंभ 1988-89 वर्षात 2002-03 तक की अवधि में 270 सदस्य नवीन भर्ती कर 218 पुराने सदस्य संस्था से अलग किये गये। वर्ष 2002-03 में अंशपूजी प्रारंभिक रूपये 1,11,300.00 थी जिसमें रू. 43,900,00 वापिस कर उपविधि प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। इससे स्पष्ट है कि संस्था के हितों के विरूद्ध कार्य करना पदाधिकारियों का लक्ष्य था न कि आम सदस्यों का हित। चूंकि संस्था बडे नेताओं, राजा-महाराजाओं की थी अतः किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई। आम सभा समय पर नहीं होने से संस्था में हुये गबन घोटाले भी उजागर नहीं हो सके?*
*4. उक्त संस्था में प्लॉटों का आवंटन लॉटरी के आधार पर किया गया जबकि इसे वरीयता के आधार पर होना चाहिये था। उक्त संस्था में लॉटरी सिर्फ प्रभावी लोगो के नाम से ही कैसे निकली यह खोज का विषय है?*
*5. एक ओर जहां भूमि का विक्रय स्व. श्री माधवराव सिंधिया द्वारा किया गया तब उनके भूमिहीन पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया व पुत्री श्रीमति प्रियवंदा को प्लॉटों का आवंटन कैसे हो गया?*
*मिश्रा ने कहा कि इस संस्था में हुये घोटोलों/अनियमितताओं/घपलों को लेकर उच्च न्यायालय ग्वालियर में दायर याचिका डब्ल्यू.पी. क्रमांक-5486/2011 पूरन शिवहरे अध्यक्ष, शिवाजी गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, ग्वालियर विरूद्ध म.प्र. शासन में अपने जबाब में राज्य सरकार ने प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में उल्लेखित बिंदुओं को सही मानते हुये याचिका को खारिज किये जाने हेतु आग्रह भी किया था। यहीं नहीं इस विषयक एक शिकायत के उपरान्त संस्था के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने एफ.आई.आर. भी दर्ज की थी, बाद में राजनैतिक दबाबवश उसका भी खात्मा करवा दिया गया?*
*मिश्रा ने सिंधिया के साथ आगामी चार दिनों तक राजनैतिक दौरे पर साथ घूमने वाले मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान से भी पूछा है कि इसी सोसाइटी की जांच को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री, भाजपा के वास्तविक ईमानदार नेता और राजनैतिक संत के रूप में अपनी पहचान रखने वाले स्व. कैलाश जोशी भूख-हडताल पर बैठे थे, आज अपने ही उस ईमानदार नेता द्वारा की गई भूख-हडताल पर मौजूदा मुख्यमंत्री के रूप में उनका अभिमत क्या है?*
*श्रीमान संपादक* *महोदय*
*ससम्मान प्रकाशनार्थ, के.के.मिश्रा* *मीडिया प्रभारी, (ग्वालियर-चम्बल संभाग)*