#गांधी_से_गांधी_तक
आज राहुल गांधी ने अंतिम तौर पर खुले पत्र के जरिये स्पष्ट कर दिया कि वो कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नही है।
विदूषनी और गणिका से लेकर एक वर्ग विशेष को शायद यह भी कोई अपने सरीखा कार्य लगा होगा किन्तु यदि राहुल गांधी के पत्र को कूटनीतिक चश्में से पढ़ने की कोशिश की जाए तो समझा जा सकता है कि राहुल का भविष्य उसे इतिहास पुरुष के रूप में स्थापित करने के लिए है।
वैसे तो हम और लगभग सभी निरपेक्ष बौद्धिक वही सब कहते रहे है जो आज राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है।
राहुल गांधी लिखते हैं कि यह चुनाव उनके और सभी अपहरण की जा चुकी संस्थाओं के बीच था।
कांग्रेस सहित विभिन्न संस्थानों में संघ के नाम पर देश विरोधी शक्तियो की घुसपैठ तो आज आम जन को भी स्पष्ट नज़र आ रही है।
आने वाले खतरे के प्रति आगाह किया गया है जिसमे समाज का विखंडन, अल्पसंख्यक समुदाय एवम पिछड़े, दलित वर्ग पर अत्याचार से लेकर देश की अखंडता तथा संवैधानिक मूल्यों पर भी खतरा होने की शंका व्यक्त की गई हैं।
ऐसे में कोई भी देश प्रेमी क्या कदम उठा सकता है ?
या तो अपने पद का लोभ करते हुए व्यक्तिगत स्वार्थों सहित चाटुकारों और दलालों के झुंड में आनन्द करता रहे।
या अपने बुजुर्गों के आदर्शों पर चलते हुए महात्मा गांधी की तरह फिर ज़ीरो से हीरो होने की क्षमता दिखाए।
सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे बहुत से कांग्रेसी समर्थकों से परिचय हुआ है जो निस्वार्थ भाव से फ़ासिज़्म के विरोध में आवाज़ उठाते रहे है।
शायद ही किसी ने कभी पद लाभ या अन्य किसी स्वार्थ के लिए कहा हो। ( हम उनमें से नही है )
एक बार फिर कांग्रेस को नए कलेवर में संघर्ष के लिए तैयार करने हेतु यह प्रसव पीड़ा आवश्यक थी।
हमारा व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी को बिना शर्त समर्थन है और रहेगा।
हम बिहार के उस पिछड़े गांव के सबसे छोटे किसान की तरह जो महात्मा गांधी के साथ तब खड़ा हुआ था जब वो अकेले थे। राहुल गांधी के साथ खड़े होंगे !क्यूँकि मजबूत विपक्ष लोकतंत्र की महती आवयकता है !राष्ट्र सर्वोपरि
जय हिंद जय भारत