आखिरकार ऐसा क्या है कि टाईगर को अपने ही अभ्यारण में घुसने के लिए मुख्यमंत्री और पुलिस की सुरक्षा लेनी पडी? फर्जी सदस्यता सूची के माध्यम से सिंधिया ने लूटी झूठी वाहवाही। प्रशासनिक दमन के बावजूद भी पांच हजार से अधिक कांग्रेसजनों ने सिंधिया के कथित गढ़ में घुसकर दी उन्हें पहली चुनौती-के.के. मिश्रा

आखिरकार ऐसा क्या है कि टाईगर को अपने ही अभ्यारण में घुसने के लिए मुख्यमंत्री और पुलिस की सुरक्षा लेनी पडी?
फर्जी सदस्यता सूची के माध्यम से सिंधिया ने लूटी झूठी वाहवाही।
प्रशासनिक दमन के बावजूद भी पांच हजार से अधिक कांग्रेसजनों ने सिंधिया के कथित गढ़ में घुसकर दी उन्हें पहली चुनौती-के.के. मिश्रा


                                                                           ग्वालियर- 22 अगस्त 2020,


प्रदेश कांगे्रस के मीडिया प्रभारी (ग्वालियर-चम्बल संभाग) के.के. मिश्रा ने छः माह से गायब ग्वालियर आये नये नवेले भाजपाई श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर एक और बडा हमला करते हुए कहा कि सिंधिया यदि असली टाईगर है तो उन्हें अपने ही अभ्यारण में घुसने के लिये मुख्यमंत्री और उनके प्रोटोकाॅल के अनुरूप सुरक्षा कवच के साये की जरूरत क्यों पड़ी? भाजपा के सदस्यता अभियान के प्रचार एवं फर्जी सदस्यता सूची के माध्यम से सिंधिया ने झूठी वाहवाही बटौरने का असफल प्रयास किया है?
मिश्रा ने कोरोना कहर को लेकर ग्वालियर जिला प्रशासन पर भी दोहरेे आचरण अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर इसकी आड़ में कांग्रेस के गांधीवादी प्रदर्शन को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी, “विघ्नहरण भगवान गणेश” की स्थापना हेतु पंडालों का निर्माण नहीं होने दिया वहीं पूरे प्रदेश में कोरोना फैला रही भाजपा, उसके नेताओं व राज्य सरकार के दबाब में “विघ्नकरण सिंधिया” को मजबूती प्रदान करने के लिये कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुये सुसज्जित डोम बनवाया और धारा-144 का भी खुद ही उल्लंघन किया। उन्होंने दावा किया कि प्रशासन के अनुचित दबाब के बावजूद भी पांच हजार से अधिक कांग्रेसजनों ने अपने पूर्व घोषित प्रदर्शन में हिस्सेदारी कर गिरफ्तारी दी और इतने ही पार्टीजनों को ग्वालियर के चारों ओर की सीमाओं से पुलिस ने उन्हें और उनके वाहनों को रोक दिया था।
मिश्रा ने आज पुनः ग्वालियर आये व मंचासीन किसी भी नेता द्वारा स्वतंत्रता संग्राम की नायिका वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पर न जाने और उनका नाम तक नहीं लिया जाने पर तीखा विरोध दर्ज कराते हुये कहा कि ऐसा न कर उन्होंने लक्ष्मीबाई के हत्या के षड़यंत्र मे शामिल परिवार और स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज हुकुमत का साथ देने वाली अपनी ही विचारधारा के पूर्व चरित्र का स्मरण करा दिया है।