ज्योतिष एवं द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर निर्माण का 5 अगस्त को कोई मुहूर्त नहीं
ज्योतिष पीठाधीश्वर ने कहा कि शुभ मुहूर्त में शास्त्र विधान के अनुसार मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ होना चाहिए
ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि
अयोध्या में 5 अगस्त को प्रस्तावित श्री राम मंदिर निर्माण के आरंभ का कोई शुभ मुहूर्त नहीं
सनातन धर्म के मूल आधार वेद हैं
वेदों के अनुसार किए गए कर्म यज्ञ कहे जाते हैं
जो पूर्णतया काल गणना पर आधारित है काल गणना और कालखंड विशेष के शुभ अशुभ का ज्ञान ज्योतिष शास्त्र से होता है
इसलिए ज्योतिष को वेदांग कहा गया है
इसलिए सनातन धर्म का प्रत्येक अनुयायी अपने कार्य उत्तम कालखंड से आरंभ करते हैं
जिसे शुभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है शंकराचार्य महाराज ने कहा कि मुहूर्त वैसे तो दो घड़ी अर्थात 48 मिनट का एक कालखंड है जो सूर्योदय से आरंभ होकर दिन के छोटे बड़े होने के कारण 15 या 16 बार दोहराता जाता है
और ऐसा ही रात्रि में भी होता है अत: एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच के अंतराल मैं 30 से 32 मुहूर्त तो होते हैं
सुबह मुहूर्त को मुहूर्त चिंतामणि में क्रियाकलापप्रतिपत्ति हेतुम्कहकर कार्य सिद्धि में कारण माना जाता है
अपने हर छोटे-बड़े कार्य को अशुभ मुहूर्त में संपन्न करने वाला सनातनी समाज आज दुःखी है कि पूरे देश में करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र श्री राम मंदिर
बिना शुभ मुहूर्त के आरंभ होने जा रहा है
जैसा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से 5 अगस्त 2020 को शिलान्यास की घोषणा की गई है विदित हो की 5 अगस्त 2020 को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है
शास्त्रों में भाद्रपद मास मैं ग्रह मंदिरारंभ निषिध्द है
विष्णु धर्म शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है कि प्रोष्ठपादे विनश्यति माने भाद्रपद मास में किया गया शुभारंभ विनाश का कारण होता है
उन्होंने कहा कि वास्तु शास्त्र का कथन है कि भाद्रपदे न सर्वथा ग्रहम् देवज्ञ बल्लभ नाम के ग्रंथ में कहा गया है कि निःस्व भाद्रपदे अर्थात भाद्रपद में किया गया ग्रहारंभ निर्धनता लाता है
वास्तु प्रदीप भी इसी बात को अपने शब्दों में हानिभाद्रप्रदे तथा मैं कहता है वास्तु राजबल्लभ का वचन भी देखिए जो शून्य भाद्रपदे अर्थात भाद्रपद का शून्य फल देता है कहकर भाद्रपद मैं इसका निषेध करता है
शंकराचार्य ने कहा कि यह भी कहा जा रहा है कि उस दिन
अभिजित मुहूर्त होने के कारण शुभ मुहूर्त है
लेकिन यह बात वही कह सकता है जिसे इस विषय में कुछ भी पता ना हो
क्योंकि थोड़ी ज्योतिष जाने वाले भी जानते हैं कि बुधवार को अभिजित निषिध्द है
मुहूर्त चिंतामणि के विवाह प्रकरण में बुधे चाभिजित्स्यम् मुहूर्ता निषिध्दाः कहकर बुधवार को
अभिजित्य निषेध किया गया है
यह कहना भी अनर्गल है कि
कर्क का सूर्य रहने तक शिलान्यास हो सकता है जबकि
श्रावणे सिहंक्य्ोः यह अपवाद श्रावण महीने तक के लिए हैं
भाद्रपद के लिए नहीं जबकि 5 अगस्त को भाद्रपद महीना है श्रावण नहीं
इसी के आगे के श्लोक में कहा है
भाद्रे सिहंगते माने कुछ विद्वानों का मत है कि
भाद्र में सिहं राशिगत सूर्य हो तो हो सकता है पर इन कुछ विद्वानों के मत मैं भी कर्क के सूर्य होने पर भाद्रपद में भी शिलान्यास ग्रहारंभ नहीं बनता है
इसलिए इस घोषित तिथि में शुभ मुहूर्त कतई ना होने के कारण इस अवसर पर किया गया आरंभ देश को बड़ी चोट पहुंचाने वाला हो सकता है
उन्होंने कहा कि काशी में भगवान विश्वनाथ के मंदिर के आसपास के मंदिर तोड़ते समय हमने चेताया भी था कि यह कार्य पूरे विश्व को समस्या में डालेगा बात को अनसुनी करने का परिणाम सब लोग देख रहे हैं
अगर अयोध्या जी में आराधना स्थल अर्थात मंदिर बनाया जाता है तो उसे शुभ मुहूर्त में शास्त्र विधि विधान से बनाया जाना चाहिए ।