*बुंदेलखंड के इतिहास में धर्म के लिए अनूठा प्रयास: भाजपा छतरपुर के पूर्व जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू भैया) की कावड़ यात्रा से समर्थकों ने फयराई धर्म की पताका*

*बुंदेलखंड के इतिहास में धर्म के लिए अनूठा प्रयास: भाजपा छतरपुर के पूर्व जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू भैया) की कावड़ यात्रा से समर्थकों ने फयराई धर्म की पताका*

भोपाल-वैसे तो बुंदेलखंड में धर्म के प्रति बड़ा महत्व है यहां पर रहने वाले लोगों के द्वारा बड़े बड़े धार्मिक आयोजन करवाए जाते हैं, यहां के लोगों की श्रद्धा धर्म के प्रति अटूट है कावड़ यात्रा को लेकर जब जब बुंदेलखंड के इतिहास को खंगाला जाएगा तब पाया जाएगा कि भाजपा छतरपुर के पूर्व जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू भैया) के द्वारा बृहद व बड़े स्तर पर कावड़ यात्रा की शुरुआत की गई थी हाल ही में दो दिवसीय कावड़ यात्रा का समापन हुआ है l यह यात्रा पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू भैया) के नेतृत्व में छतरपुर से बुंदेलखंड के पावन तीर्थ स्थल जटाशंकर धाम के लिए निकाली गई थी जो बहुत ही सफल रही इस यात्रा में धर्मं अनुयायियों, श्रद्धालु एवं समर्थकों ने शामिल होकर धर्म के प्रति और अटूट विश्वास जगा दिया बुंदेलखंड के कोने कोने से धर्म प्रेमी इस यात्रा में शामिल रहे इस यात्रा का बुंदेलखंड में धर्म के प्रति व्यापक संदेश जन जन तक पहुंचा और धर्म प्रेमियों ने इस यात्रा में शामिल होकर बड़े उत्साह से भगवान शंकर जी को कावड़ के माध्यम से जल अर्पित किया l
*कैसे शुरू हुई शुभ कावड़ यात्रा, कौन थे पहले कावड़िया ?*
हर साल श्रावण मास में कांवडिये सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं l इस यात्रा को कांवड़ यात्रा बोला जाता है। श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है। कहने को तो ये धार्मिक आयोजन भर है, लेकिन इसके सामाजिक सरोकार भी हैं। कांवड के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की आराधना के लिए हैं। पानी आम आदमी के साथ साथ पेड पौधों, पशु पक्षियों, धरती में निवास करने वाले हजारो लाखों तरह के कीडे मकोडों और समूचे पर्यावरण के लिए बेहद आवश्यक वस्तु है। उत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति को देखें तो यहां के मैदानी इलाकों में मानव जीवन नदियों पर ही आश्रित है। 
*कावड़ यात्रा की लोकप्रियता*
पिछले दो दशकों से कावड़ यात्रा की लोकप्रियता बढ़ी है और अब समाज का उच्च एवं शिक्षित वर्ग भी कावड यात्रा में शामिल होने लगा है लेकिन क्या आप जानते हैं कावड़ यात्रा का इतिहास, सबसे पहले कावड़िया कौन थे। इसे लेकर अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग मान्यता है आइए, 
*भगवान परशुराम थे पहले कावड़िया*
 कुछ विद्वानों का मानना है कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने उत्तर प्रदेश के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’का कावड़ से गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था। परशुराम, इस प्रचीन शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जी का जल लाए थे। आज भी इस परंपरा का पालन करते हुए सावन के महीने में गढ़मुक्तेश्वर से जल लाकर लाखों लोग 'पुरा महादेव' का जलाभिषेक करते हैं। गढ़मुक्तेश्वर का वर्तमान नाम ब्रजघाट है।