शिवराज कैबिनेट विस्तार को
केन्द्रीय नेतृत्व से मोहर का इंतजार
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वैसे तो मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमण्डल का विस्तार एकाध सप्ताह में होना ही है, लेकिन जब भी शिवराज सिंह राज्यपाल या आरएसएस के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी से मिलते है, तो यह चर्चाएं तेज हो जाती है। विगत दिवस और इसके पहले कुछ मीडिया चैनलों पर चर्चा के दौरान स्वयं शिवराज सिंह भी इस पर कह चुके है कि जल्द ही कैबिनेट का विस्तार हो रहा है। आज भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह राज्यपाल से मिले तो यह चर्चा तेज हो गयी। उधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के अगले सप्ताह भोपाल आने की चर्चाओं से भी कैबिनेट विस्तार को जोड़ा जा रहा है। गुना जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सदस्यता दिलाने भाजपा कार्यालय पहुंचे मुख्यमंत्री ने इस बात के संकेत दिए है कि 31 मई तक टीम का विस्तार करेंगे।
पता चला है कि कैबिनेट विस्तार को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से भी शिवराज सिंह चर्चा कर चुके हैं। लेकिन अंतिम फैसला होने के पूर्व शिवराज सिंह केन्द्रीय नेतृत्व से आमने-सामने बैठकर चर्चा करना चाहते है। अंतिम निर्णय भी इसी के बाद होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी इसके पूर्व चर्चा होने की बात कही जा रही हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों की माने तो प्रदेश में होने वाले विधानसभा की 24 सीटों पर उप चुनावों को देखते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे रखकर सभी फैसले किये जाने वाले हैं, ताकि यह संदेश जावें कि बीजेपी उनके साथ खड़ी है। ग्वालियर- चम्बल संभाग की 16 सीटों पर उप चुनाव होना है, यहां लगभग सभी सिंधिया समर्थकों को ही चुनाव लड़ना हैं। इसीलिए मंत्रिमण्डल में भी उनके समर्थकों को ज्यादा जगह दी जाने की संभावना है। लगभग 10 और पूर्व विधायकों को कैबिनेट में जगह मिल सकती हैं, इसमें सिंधिया के अतिरिक्त कांग्रेस से आये कुछ पूर्व विधायक शामिल हैं। बीजेपी के वरिष्ठ एवं युवा विधायकों को भी शिवराज कैबिनेट में जगह दी जाने वाली हैं।
आपको याद होगा कि शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के भीतर खींचतान शुरू से ही चल रही है। मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान ने अकेले शपथ ली थी और उसके बाद लगभग एक माह का वक्त गुजरने के उपरांत पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिनमें दो मंत्री सिंधिया खेमे से शामिल किये गये थे। आने वाले दिनों में 20 से ज्यादा मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी और उनमें आठ मंत्री सिंधिया खेमे के होंगे। इसी को लेकर पार्टी के अंदर मंथन चल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा में कद्दावर और दावेदारों की संख्या मंत्री पदों से कहीं ज्यादा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा तथा महामंत्री संगठन सुहास भगत के बीच कई दौर की चर्चा हो चुकी है और नाम भी लगभग तय हो चुके हैं। भाजपा में चल रही खींचतान के सवाल पर प्रदेशाध्यक्ष शर्मा का कहना है कि भाजपा एक परिवार है और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। मंत्रिमंडल को लेकर किसी तरह की खींचतान नहीं है और न ही विवाद की स्थिति है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ लगातार यही कह रहे हैं कि अभी भाजपा में मंत्रिमंडल का विस्तार और उप चुनाव के लिए उम्मीदवारी तो तय होने दीजिए पार्टी का हाल क्या है सब सामने आ जाएगा। विगत दिनों एक मीडिया चैनल पर चर्चा के दौरान कमलनाथ ने कहा था कि एक बार मंत्रिमण्डल का विस्तार तो होने दीजिए सब पता चल जाएगा। उप चुनावों में सिंधिया किस मुंह से जाएंगे। जिस जनता ने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ वोट दिया और उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया उनसे सिंधिया ने हाथ मिलाया।
मंत्रिमण्डल में किसके नामों की चर्चा
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों में से तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत मंत्री बन चुके हैं। महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, डॉ प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर के अलावा राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, हरदीप सिंह डंग, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंषाना को शपथ दिलाना तय माना जा रहा है। बीजेपी की तरफ से पूर्व मंत्रियों में जिनके नाम हैं उनमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, हरिशंकर खटीक, जगदीश देवड़ा, विजय शाह, महेंद्र हार्डिया, पारस जैन, रामपाल सिंह, विश्वास सारंग, करणसिंह वर्मा, नागेंद्र सिंह नागोद, राजेंद्र शुक्ल, अजय विश्नोई, जालम सिंह, सुरेंद्र पटवा, संजय पाठक, गौरीशंकर बिसेन, जयसिंह मरावी, गोपीलाल जाटव और यशोधरा राजे सिंधिया प्रमुख हैं।
मंत्री पद की ताजपोशी के नए दावेदारों में जो नाम हैं उनमें मोहन यादव, नीना वर्मा, रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर, अरविंद भदौरिया, प्रदीप लारिया, शैलेंद्र जैन, गिरीश गौतम, अशोक रोहाणी, ओम प्रकाश सकलेचा और चेतन कश्यप भी कतार में हैं।