वसु विश्वास अचल निजधर्मा तीरथराज समाज सुकर्मा ।।

‼गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम घाट‼
              ‼और माघ-मेला‼


यूरोपीय संघ के विशेषज्ञ संगम पर माघ मेले का मैनजेमेंट समझने आये है।
जो समाज ATM कि लाइन में व्यग्र हो जाता है यातायात नियमों का उलंघन कर देता है
वह एक साथ कैसे करोड़ो कि संख्या में इतना अनुशासित है ?
यही यक्ष  प्रश्न है ?


यह मैनेजमेंट नहीं है
यह धर्म है
यह भीड़ नहीं है
संस्कृति कि शताब्दियों कि अविरल धारा है
इस धारा कि एक ही धारण शक्ति है धर्म है।


दिखने में करोड़ लोग लगते है
सभी आत्माओं का पुंज एक परमात्मा रूपी गंगा कि ओर बढ़ रहा है जब तक वह गंगा में आचमन न कर ले एक दूसरे से वार्ता भी नहीं करते। किसी भी पूजन में कलश स्थापना में गंगा, यमुना,गोदावरी,सरस्वती,नर्मदा, सिंधु, कावेरी का आवाहन किया जाता है। धर्म ही हमे जोड़ता है, इस पवित्र भूमि और नदियो से अपनत्व की अनुभूति देता है।
धर्म सामुदायिक नहीं है
निज है ! सभी अपने अपने निहित धर्म का पालन कर रहे है परंतु वह धर्म तो एक ही है सत्य सनातन।


वसु विश्वास अचल निजधर्मा


तीरथराज समाज सुकर्मा ।।