*नंदी सराफ मंदिर की बेशकीमती जमीन को बेंचकर पूर्व के ट्रस्टियों ने लगाया ठिकाने,SDM से युवा कोंग्रेस लोकेंद्र वर्मा ने की,SDM ने कहा होगी कार्यवाही*

*नंदी सराफ  मंदिर की बेशकीमती जमीन को बेंचकर पूर्व के ट्रस्टियों ने लगाया ठिकाने,SDM से युवा कोंग्रेस लोकेंद्र वर्मा ने की,SDM ने कहा होगी कार्यवाही*


*- मंदिर की शेष बची जमीन पर भी ट्रस्टी किए हैं अवैध कब्जा*


बड़ी खबर
/छतरपुर। शहर के तमरयाई मोहल्ला में स्थित दिवाला धनुषधारी नंदी सराफ मंदिर ट्रस्ट की बेशकीमती जमीन को मनमाने तरीके से बेच दी दिया है। मंदिर ट्रस्ट में एक ही परिवार के लोगों ने शामिल होकर सभी नियम-कायदों को ताक पर रखकर बड़ा खेल कर लिया था। लेकिन यह मामला प्रशासन के ध्यान में आने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। लिहाजा पूरे मंदिर की जमीन खुर्द-बुर्द की जा रही है। इस मामले को लेकर शहर के कुछ लोगों ने एसडीएम कोर्ट में केश भी दायर किया है, लेकिन प्रशासन ने मामले में रुचि नहीं दिखाई। इसी का फायदा उठाकर बेशकीमती जमीन को हड़प लिया और बेच दिया है। लोगों की आपत्तियों पर प्रशासन का ध्यान नहीं जाने का फायदा उठाकर धीरे-धीरे मंदिर की संपत्ति हड़पी जा रही है। शहर में समाजसेवा के नाम पर उमंग सेवा समिति चलाने वाले और छत्रसालं व्यापारी महासंघ के महामंत्री अनिल अग्रवाल का परिवार अब भी मंदिर की जमीन पर कब्जा किए हैं। मंदिर के बगल में उनके बहन-बहनोई सालों से बिना किराया दिए एक बड़े भवन पर कब्जा किए हैं। यह कब्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस परिसर के जिस भवन में आजाद हाईस्कूल चलता था, उस भवन पर भी इस कथित समाजसेवी के परिवार ने कब्जा कर लिया है। 
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सार्वजनिक हित की संपत्तियों को किस हद तक खुर्द-बुर्द किया गया है और प्रशासन ऐसे मामलों में पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। वह भी तब, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जमीन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के कड़े निर्देश प्रशासन को दे रखे हैं। नंदी वाला सराफ मंदिर के रखरखाव और पूजन के लिए करोड़ों रुपए की बेशकीमती संपत्ति थी और अभी भी है, लेकिन प्रशासन की नजर से बचकर बेशकीकती जमीनों को ठिकाने लगाते आ रहे मंदिर के पूर्व प्रबंधक और उसके ही परिवार के ट्रस्टी भगवान के साथ ही छल कर लिया। 
मंदिर की मौजूदा दुर्दशा देखकर इसके पूर्व प्रबंधक से लेकर ट्रस्टियों की करतूतों को जाना और समझा जा सकता है। जिस मंदिर के रखरखाव और व्यवस्था के नाम पर प्रशासन से अनुमति लेकर उसके प्रबंधक और ट्रस्टिी मिलकर करोड़ों की जमीन बेचते रहे, उसी मंदिर में विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगाई गई। करोड़ों की संपत्ति वाले मंदिर में सुरक्षा के नाम पर टूटे दरवाजे और खुला मैदान पड़ा है। संपत्ति पर ट्रस्टी के परिवार का कब्जा है। मंदिर परिसर में ही जुआ-शराबखोरी से लेकर कई तरह के गलत काम होते हैं।
शहर के तमराई मोहल्ला में डॉ. दीक्षित के पुराने निवास के आगे भगवान शिव का प्राचीन नंदी सराफ  मंदिर स्थित है। यह मंदिर प्राचीन और सार्वजनिक होने के कारण हमेशा से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। इस मंदिर के अधीन करोड़ों रुपए मूल्य की संपत्ति थी। लिहाजा 1983 में इस मंदिर के रखरखाव और संरक्षण के लिए पब्लिक ट्रस्ट का गठन किया गया था। जिसमें प्रबंधक समेत 15 लोगों को ट्रस्टी के रूप में शामिल किया गया था। 15 में से 13 ट्रस्टियों का निधन हो जाने पर उनके स्थान पर एक ही परिवार के लोगों को ट्रस्ट में भर लिया गया। इस ट्रस्ट के प्रबंधक स्व. स्वामी नेता ने अपनी पत्नी, दो बेटों और बहुओं सहित अन्य खूनी रिश्ता रखने वाले व्यक्तियों को ही ट्रस्टी बना लिया था। पब्लिक ट्रस्ट की जगह यह एक परिवार का ट्रस्ट ही बन गया। मंदिर के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा होने के कारण मंदिर की व्यवस्था के लिए श्रद्धालुओं और भक्तों ने कई साल पहले से चल और अचल संपत्ति का दान किया था। जब संपत्ति अधिक हो गई तो उसकी सुरक्षा के लिए ही 3 मार्च 1983 में ट्रस्ट का गठन किया गया था। मंदिर के प्रबंधक कथित समाजसेवी अनिल अग्रवाल उर्फ अनिल नेता के पिता स्व. स्वामीप्रसाद अग्रवाल थे, जिनका निधन 2011 में हो गया था। मंदिर ट्रस्ट के पूर्व और कुछ वर्तमान ट्रस्टियों ने अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए अनेक तरह से कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मंदिर की अचल संपत्ति को हड़प लिया है। करोड़ों रुपए की संपत्ति को न्यूनतम मूल्य पर उन्होंने खुद ही हड़प ली है। जो बची हुई संपत्ति है उसे भी हड़पने का प्रयास किया जा रहा है। इस संपत्ति पर प्रशासन की कोई निगरानी नहीं होने के कारण ही शहर और इस मोहल्ले के कुछ लोगों ने प्रशासन को शिकायत कर ट्रस्ट भंग करके कलेक्टर के अधीन बतौर प्रशासक मंदिर की संपत्ति करने की मांग की थी। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
*यह थी मंदिर की संपत्ति और ऐसे किया खेल :*
मंदिर ट्रस्ट के गठन के समय मंदिर की अचल संपत्ति में एक दुकान चौक बाजार क्षेत्र में थी। कोठा मंदिर मकान मकान नंबर 30, मकान नंबर 33, मकान नंबर 16, 17, 45 और तमरयाई मोहल्ला के एक प्लाट सहित कुल 12 कृषि भूमियां थीं। मंदिर की विशाल संपत्ति से होने वाली आय और श्रद्धालुओं द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले दान राशि व सामग्री को मिलाकर मंदिर की देखभाल के लिए पर्याप्त आय हो जाती थी। लेकिन इस संपत्ति को ठिकाने लगाने के लिए तत्कालीन ट्रस्ट प्रबंधक ने अपने हितैषी को लाभ पहुंचाने के लिए पहली बार बिना किसी जरूरत के भी तात्कालिक आवश्यकता बताकर चौक बाजार की बेशकीमती दुकान नंबर 16 और तमरयाई मोहल्ला का मकान नंबर 45 को बेचने की अनुमति एसडीएम कोर्ट में आवेदन देकर प्राप्त कर ली। 1986 में अनुमति प्राप्त कर शर्तों का पालन किए बिना ही मनमाने तरीके से उन्हें बेच दिया गया। बाकी संपत्ति का भी ट्रस्ट प्रबंधक से लेकर ट्रस्टी निजी संपत्ति की तरह उपयोग करते रहे। इस संपत्ति का न तो कोई ऑडिट कभी करवाया गया और न ही कोई आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रशासन के पास दिया गया। इसके अलावा मंदिर की जिस कृषि भूमि को बटाई पर देकर मंदिर के रखरखाव के लिए अच्छी आय प्राप्त की जा रही थी, उनमें से पांच जमीनों को भी मंदिर के फर्स निर्माण और बाउंड्रीवाल की मरम्मत कराने की जरूरत के नाम पर वर्ष 2002 में बेच दिया गया। जबकि इन संपत्तियों का विक्रय नियमानुसार घोष विक्रय-नीलामी के आधार पर किया जाना चाहिए था। लेकिन निर्धारित छह शर्तों में से किसी का भी पालन नहीं किया गया। यह जमीनें प्रबंधक ने अपनी पत्नी और पुत्र वधुओं के नाम कर दिया। इसी तरह से सभी जमीनों को ऐसे ही खुर्द-बुर्द कर दिया गया। लेकिन मंदिर में एक रुपए भी नहीं लगा। बेची गई संपत्ति के हिसाब से अगर मंदिर का प्रबंधन किया जाता तो शहर का सबसे सुंदर और आलीशान मंदिर के रूप में नंदी सराफ मंदिर को पहचान मिलती, लेकिन मंदिर अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
*सूचना के अधिकार के तहत भी प्रशासन नहीं दे पाया जानकारी :*
मंदिर नंदी सराफ ट्रस्ट के संबंध में शहर के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रामबाबू ताम्रकार, समाजसेवी एवं जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष देवेष कुमार अग्रवाल ने जिला प्रशासन से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। लेकिन प्रशासन ने यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया कि मांगी गई जानकारी को देने का प्रावधान सूचना के अधिकारी अधिनियम 2005 में नहीं है। जबकि केवल यह जानकारी मांगी गई थी कि मंदिर ट्रस्ट का वर्तमान अध्यक्ष कौन है। मंदिर ट्रस्ट की चौक बाजार स्थित दुकान नंबर 16 के विक्रय का पैसा किसके खाता में जमा है और मंदिर की कृषि भूमि की बिक्री का रुपया किसके खाते में जमा है।
*समाजसेवी परिवार ने मंदिर की बेशकीमती जमीन बेंच डाली*
शहर में करीब दो सौ साल पुराना नंदी सराफ मंदिर है। इस मंदिर के नाम पर नंदी सराफ  मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया। इसमें प्रबंधक स्व. स्वामी प्रसाद अग्रवाल थे। इस ट्रस्ट के नाम पर माफी की सरानी मार्ग वार्ड-16 स्थित तीन एकड़ से अधिक जमीन किसी तरह से दर्ज हो गई। इस जमीन को मंदिर से जोडऩे का उद्देश्य तो मंदिर की आमदनी बढ़ाने के लिए था, लेकिन समय के साथ करोड़ों रुपए कीमत की इस जमीन पर भूमाफियाओं की बुरी नजर पड़ गई। भूमाफियाओं ने भगवान और भक्तों के भोजन के जरूरी राशि जुटाने वाली इस जमीन को ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारियों के साथ मिलकर हथिया लिया। इस संबंध में पूर्व में शिकायत करने वाले ट्रस्ट के तत्कालीन प्रभारी प्रबंधक द्वारिका पौराणिक बताते हैं कि पूर्व प्रबंधक स्वामी प्रसाद अग्रवाल ने कुछ अन्य ट्रस्टियों से मिलकर इस जमीन की रजिस्ट्री और बिक्री पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष स्व. श्रीराम गुप्ता की पत्नी के नाम कर दी। इसके लिए किसी सक्षम अधिकारी से स्वीकृति नहीं ली गई। इसके बाद इस जमीन की प्लाटिंग कर दी गई। बाईपास मार्ग पर मौजूद इस जमीन में मकान भी बना लिए गए हैं। इस तरह से करोड़ों रुपए की जमीन से दोगुने-चौगुने रुपए कमाकर जमीन को खत्म कर दिया गया। इस जमीन को राजसात किया जाना जरूरी है।
*करोड़ों में बिकी जमीन, खाते में आए 62 हजार रुपए :*
मंदिर के एक ट्रस्टी बताते हैं कि मंदिर के नाम जमीन के साथ दुकान भी थी। इस तरह से मंदिर ट्रस्ट करोड़ों रुपए का आसामी था, लेकिन ट्रस्टी और कुछ नेताओं ने मिलीभगत कर, अधिकारियों से सांठगांठ की इस जमीन की रजिस्ट्री कर दी, लेकिन ट्रस्ट के खाते में केवल 62 हजार रुपए ही आए। उल्लेखनीय है कि राजस्व रिकार्ड में वर्ष 1960-61 में यह पूरी जमीन माफी की जमीन दर्ज है। इस जमीन पर पब्लिक ट्रस्ट का गठन ही गलत किया गया और ट्रस्ट का गठन करके उसकी जमीन का बंदरबांट करना उससे भी बड़ी गड़बड़ी साबित हुआ है


*Sdm ने कहा होगी कार्यवाही*


वही इसी मामले में युवा कोंग्रेस जिला अध्यक्ष लोकेंद्र वर्मा ने SDM को लिखित शिकायत देकर जांच की मांग की,वही SDM ने कहा जल्द मामले में कार्यवाही की जाएगी