जन गण रण

पिछले दिनों दिल्ली पुलिस द्वारा जामिया मिलिया विश्व विद्यालय में कुलपति की अनुमति के बगैर कैंपस में घुसकर छात्र छात्राओं की बर्बरता पूर्ण ढंग से कथित पिटाई तथा लायब्रेरी में तोड़फोड़ करने की जांच को लेकर याचिका माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर याचिका कर्ताओं को यह सलाह देने पर कि वे हाई कोर्ट से फरियाद करें , दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई थी । कल दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत किए जाने पर हाई कोर्ट द्वारा छात्रों को अंतरिम राहत न दिए जाने पर कोर्ट रूम में ही ' शेम शेम ' के नारे लगे । मैं इस नारेबाजी को अनुचित तथा माननीय कोर्ट की अवमानना मानता हूं किन्तु यह विचारणीय है कि नारेबाजी छात्रों या सड़क छाप लोगों ने नहीं की है । नारेबाजी वरिष्ठ अभिभाषकों ने की है । यह न्यायपालिका की पिछले कुछ वर्षों में गिरती हुई साख का द्योतक है । यह उच्च न्यायपालिका का आत्मावलोकन का समय है । उसे यह विचार करना चाहिए कि देश में यह धारणा क्यों बनती जा रही है कि उसका झुकाव सरकार की ओर है तथा सरकार के प्रति कड़ा रुख अपनाने में अब उसे संकोच होने लगा है । ऐसे समय में लोगों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज  जस्टिस जगनमोहन लाल सिन्हा की याद अा रही है , जिन्होने सर्वाधिक शक्तिमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द करने का साहस दिखाया था । दुर्भाग्य से आज न्यायपालिका द्वारा सत्तारूढ़ दल के बड़े नेताओं को क्लीन चिट देने से उसकी निष्पक्ष छवि धूमिल हो रही है । जयहिंद ।