#वयक्तिवाद( स्वार्थ के समर्थन की, अथवा विशिष्ट समझे जाने वाले व्यक्ति की महत्ता को स्वीकार करने की प्रवृत्ति) या व्यक्ति उपासना अथवा पूजा । नमो के समर्थक इसी सोच के शिकार हैं । नमोवाद भी इसे कह सकते हैं । उनको अपनी विचारधारा के खिलाफ कोई भी सख्त नापसंद है - ऐसी प्रवृत्ति फांसीवाद को प्रोत्साहित करती है । तभी नमो के अंध या समझदार समर्थक केवल अपने सही और राष्ट्रभक्त मानते हैं और जो वैचारिक रूप से उनके खिलाफ,उसकी राष्ट्रीयता और देश प्रेम पर सवाल खड़ा करने लगते हैं ।
#नमो के व्यक्तिवाद के गहरे चपेट में आये लोगो ने ' हर हर मोदी और घर घर मोदी ' जैसे नारे गढ़े हैं । जिन पर हमें कतई कोई ऐतराज नही है । लेकिन हम " हर हर महादेव " ही डंके की चोट पर कहेंगे । वह अपने घर खूब मोदी को ले जायें और पूजा करें । लेकिन हमारे घर में वह वर्जित रहेंगे । क्योंकि हमें अपने घर के मंदिर मे महादेव की उपासना पसंद है ।
#हमारे देश की विशेषता है - अनेकता में एकता । यही भावना सारे मजहब के लोगो को जोड़ कर रखती है और देश को, हमारे भाईचारा को तथा सर्वधर्म समभाव की भावना को मजबूत बनाती है । लेकिन जब वह ' गर्व से कहो, हम हिंदू हैं ' कहते हैंं, तो देश कमजोर होता है । गर्व से यह क्यों नहीं कहते कि ' हम सब भारतीय हैं । '
#प्रधानमंत्री के रूप में मुझे नमो का कार्यकाल असफल लगता है, यह मापदंड तय करना मेरी संवैधानिक स्वतंत्रता है । अब जिसे गुस्सा होना हो, होता रहे । राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले से लेकर बेरोजगारी, किसानो की समस्या और विकास के मामले मे मै नमो को पूरी तरह फेल मानता हूँ । जुमलेबाजी मे महान और जनता से जो वायदे किये, उनको कतई पूरा नहीं कर पाये । चुनावी राग कहां से कहां ले गये ? अब तो गाली की बातो का आगाज हो रहा है । आगे मगरमच्छी आंसू भी दिखाई दें, तो अचरज नहीं ।
#अब नमोवाद से लबालब भरे लोग मुझे राष्ट्रद्रोही कहें तो कहते रहें, कोई चिंता नहीं । मैं व्यक्तिवादी नहीं, एक सच्चा राष्ट्रवादी हूँ और इस बात का पक्षधर हूँ कि मजबूत लोकतंत्र के लिए सत्ता में बदलाव होता रहना चाहिए । अन्यथा तानाशाही प्रवृत्ति को बल मिलता है और ऐसा अंध व्यक्तिवाद उसी का सूचक है ।
#जय हिंद
व्यक्तिवाद