शरद पूर्णिमा विशेष

मान्यता है कि केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। 


👫तन
पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है इसीलिए  दूध और चावल की खीर बना के चांदी या मिट्टी के पात्र में आकाश के नीचे रखिये और अर्धरात्रि के पश्चात प्रसाद स्वरूप ग्रहण करिये । चूँकि दूध में लेक्टिक अम्ल होता है जोकि चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति को शोषित करता है और चावल में स्टार्च होने के कारण ये प्रक्रिया आसान हो जाती है। वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार इस दिन दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं।


❤️मन
चंद्रमा को वेद-पुराणों में मन के समान माना गया है- चंद्रमा मनसो जात:। यानी कि हमारे मन का सीधा संबंध चंद्रमा से है, तो क्यों न इस पूर्णिमा हम अपने मन को जानने की कोशिश करें, समझने की कोशिश करें कि वो क्या मान्यताएं या विचार हैं जो हमारी प्रगति, संपन्नता ओर खुशहाली को रोक रही है ? क्या बाधाएं हमारे रास्ता रोके हुए हैं? यदि आज हम चंद्रमा के प्रकाश में स्नान करते हैं और ख़ुद के सारे सवालों पे विचार कर उन्हें समर्पित करते हैं तो निश्चित ही , अपने अंदर छुपी आत्म बाधा से मुक्त होने के लिए खुद निर्देशित होते हैं।


💰धन
शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। चांदनी रात में भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी का पूजन  करना धन समृद्धि दायक माना गया है। 


 
💐आप सभी को शरद पूर्णिमा की मंगलकामनाये 💐