राज्यसभा के लिए प्रत्याशी को उसी राज्य का मतदाता होना अनिवार्य है जिस राज्य से वह प्रत्याशी है । लोकसभा के लिए ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है । देखा गया है कि आम आदमी को मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है और रजिस्ट्रेशन अधिकारी गहन जाँच के बाद नाम जोड़ने का आदेश देते हैं किन्तु वीआईपी के नाम किसी भी राज्य की मतदाता सूची में अविलंब जुड़ जाते हैं । विगत कई दशकों से देखा जा रहा है कि कोई भी वीआईपी जिस राज्य से राज्यसभा का सदस्य चुना गया है , अगली बार अपने दल की सुविधानुसार किसी नए राज्य की मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा कर वहाँ से प्रत्याशी बन जाता है और जीतकर फिर राज्यसभा में पहुँच जाता है । संविधान निर्माताओं ने इस दृष्टि से यह प्रावधान किया था कि राज्य सभा में उसी राज्य का वास्तविक प्रतिनिधित्व हो , बाहरी राज्य का कोई निवासी उस राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं करे । अब जब सभी दल इस कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं यह एक Mockery ( उपहास ) मात्र बन गई है । ऐसी स्थिति में वास्तविकता को स्वीकारते हुए इस कानून को समाप्त कर देना चाहिए और लोकसभा की तरह राज्यसभा के लिए भी यह कानून होना चाहिए कि किसी भी राज्य का मतदाता किसी भी राज्य से प्रत्याशी हो सकता है । मुझे उम्मीद है सभी दल इस पर सहमत होकर मेरे सुझाव को कानूनी रूप देंगे ।
डॉ सौरभ मिश्रा
राज्य सभा चुनाव