क़लम पर अंकुश

पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को तत्काल रिहा करने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में दलील सुनने की भी आवश्यकता नहीं है । कनौजिया को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी पर सोशल मीडिया में कमेंट करने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली जाकर गिरफ्तार किया था और गिरफ्तार करने के पूर्व दिल्ली पुलिस से संपर्क भी नहीं किया था । अपने आकाओं को खुश करने के लिए पुलिस कानून अपने हाथ में लेकर आजकल कुछ भी करने को तैयार रहती है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा है । पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया हर व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता , उसकी इतनी हैसियत नहीं होती है । अतः कानून में यह स्पष्ट प्रावधान करने की आवश्यकता है कि यदि न्यायालय द्वारा यह पाया जाता है कि आरोपी को गलत गिरफ्तार किया गया था , तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी को दंडित किया जाएगा । ऐसा कानूनी प्रावधान होने पर पुलिस अधिकारी जल्दीबाजी में किसी को गिरफ्तार करने के पहले सौ बार सोचेंगे । जयहिन्द ।
डॉ सौरभ मिश्रा