#शक्ति_स्वरूपा_माँ_सीता
मैं इस विषय पर तथ्यात्मक विचार रखूँ, इससे पहले आपको कक्षा ७ के विज्ञान विषय के कुछ स्वप्रमाणित प्रमेय का स्मरण करवा दूँ,
ऊर्जा सदा परिवर्तनीय है,
ऊर्जा न पैदा की जा सकती है, ना ही समाप्त की जा सकती है।
एक प्रकार की ऊर्जा अन्य किसी स्वरूप में परिवर्तित हो सकती है किन्तु किसी भी समय पर किसी भी अवस्था में, कुल ऊर्जा का मान एक समान ही रहता है, और यह सूत्र प्रमाणित हैं।
अब आता हूँ माँ सीता के वास्तविक स्वरूप पर,
सीता माता साक्षात देवी भगवती "शक्ति" का रूप हैं, जिन्हें भगवान विष्णु के नाभिकीय ऊर्जा को भूमि पर अवतरण के उद्देश्यों को पूर्णता प्रदान करने के लिए ऊर्जीकृत करना था।
अब राम का तो दैहिक जन्म हुआ, उनकी दैहिक मृत्यु भी हुई, किन्तु शाश्वत वैज्ञानिक सिद्धांतों की मर्यादानुसार ऊर्जा न पैदा हो सकती ही और ना ही मर (नष्ट) हो सकती है।
सो माता सीता को न कोई जन्म दे सकता है और ना ही उनकी मृत्यु का कोई प्रसंग बन सकता है,
इसी कारण वे भूमि पर भौतिक पुंज में प्राप्त हुईं व अपने पुत्रों को पिता राम को सौंप कर पुनः भूमि में जीवित समा जाना (समाधि में) पड़ा।
आशा है आपका माँ सीता की उत्पत्ति के रहस्य का समाधान हो गया होगा।
जै श्री सिया राम।
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शक्तिस्वरूपा माँ सीता