निर्भया

** मैं निर्भया आज भी निर्वस्त्र हूँ **


अब भी सड़क पर पड़ी,
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूँ।
भटकती रहेगी रूह मेरी
जब तक स्त्री रूप में त्रस्त हूँ......
मैं निर्भया,मैं निर्वस्त्र हूँ......


जन्म से पूर्व मृत्यु गले लगाती,
पिता से मौत तो...... 
पति से छली जाती हूँ।
मैं चलती फिरती कब्र हूँ....
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूँ.....


मैं द्रोपदी सी अपमानित हुई,
मैं अहिल्या सी घृणित हुई,
दुःखों से सृजित हुई,
मैं पुरुषों का ही षड्यंत्र हूँ.....
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूँ....


पितृसत्ता समाज की श्राप हूँ,
मैं रुधन हूँ, मैं विलाप हूँ,
दिवाकर हूँ, आफ़ताब हूँ,
पत्नी,बहन,बेटी,मित्र हूँ,
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूँ।


पायल नही ये बेड़ियां है,
हथकड़ी ये मेरी चूड़ियां है,
कलंक क्यों बनी ये बिंदिया है,
मैं तो एक खूबसूरत चित्र हूँ,
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूं।


कोमल कंचन काया हूँ,
मैं तरुवर की छाया हूँ,
मैं ममता हूँ माया हूँ।
मैं वेद हूँ, मैं शस्त्र हूँ,
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूँ।


चार माह के उम्र में भी शिकार बन जाती हूँ,
मीरा बन ज़हर पी जाती हूँ,
दहेज की अग्नि में जलाई जाती हूँ।
शशि सी शीतल,मैं वेदों में मंत्र हूँ ।
मैं निर्भया ,मैं निर्वस्त्र हूँ।


समस्त संसार की मैं तृप्ति,
मुझमे शिव की शक्ति,
मुझसे ही भक्ति,
बांधो न दायरों में,मैं स्वतंत्र हूँ ,
मैं निर्भया, मैं निर्वस्त्र हूँ......
डॉ सौरभ मिश्रा