मिशन बना दिव्यांग का सहारा (सफलता की कहानी) गणवेश कार्य कर चम्पा ने ली आपे गाड़ी छतरपुर | 25-अक्तूबर-2019

मिशन बना दिव्यांग का सहारा (सफलता की कहानी)
गणवेश कार्य कर चम्पा ने ली आपे गाड़ी
छतरपुर | 25-अक्तूबर-2019
बिजावर विकासखण्ड में म.प्र. डे-राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्राम डाही विकासखण्ड बिजावर से 5 किलो मीटर दूरी पर है। यहां मिशन द्वारा 5 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया। गठित स्व-सहायता समूहों में से जयदेवी स्व-सहायता समूह में चम्पा विश्वकर्मा जो कि दिव्यांग है, समूह से जुड़ने से पहले चम्पा बाई की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय थी, उन्हें समाज में हीन भावना से देखा जाता था, परन्तु वो कहती हैं, कि ''दिन सभी के बदलते है'' चम्पा विश्वकर्मा को मिशन के माध्यम से समूह के बारे में पता चला एवं उसने समूह से जुड़ने की ठान ली, और एक माह के अन्दर ही चम्पा विश्वकर्मा ने अपने एवं मिशन के साझा प्रयासों से स्वयं का समूह बना लिया ओर देखते ही देखते आज तीन साल से सफलतापूर्वक स्व-सहायता समूहों का संचालन कर रही हैं।
    समूह से जुड़ने के कुछ माह उपरान्त चम्पा ने प्राथमिक ऋण के तौर पर 1000 राशि ली, जिससे उसने छोटी सी किराना की दुकान खोली एवं उसके बाद द्वितीय ऋण के तौर पर समूह से रू 8000/- ऋण लेकर किराना दुकान खोला और बड़े रूप में विस्तारित किया, जिससे मासिक आमदनी 2000 से 3000 रूपये हो गई। साथ ही उसने अपने समूह का ऋण वापस भी कर दिया।
    हितग्राही चम्पा विश्वकर्मा ने सोचा कि क्यों न किराना दुकान के साथ-साथ कोई दूसरा कार्य कर लिया जाये जिससे मेरी आय बढ़ जाये। इस संबंध में चम्पा ने मिशन कर्मचारियों से चर्चा कर अन्य गतिविधि के लिए सलाह ली, जिसमें उसने आरसेटी नौगांव से सिलाई मशीन की एक माह की ट्रेनिंग ली एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से रू. 15000/- ऋण लेकर नई सिलाई मशीन खरीदकर घर में ही सिलाई का कार्य करने लगी। चम्पा ने विकासखण्ड स्तर पर शासकीय प्राथमिक विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की ड्रेस (गणवेश) सिलाई का काम किया। चम्पा विश्वकर्मा ने गणवेश कार्य को बडे़ ही लगन और मेहनत के साथ किया और मेहनताना की राशि से चम्पा विश्वकर्मा द्वारा आपे गाड़ी खरीदी गयी। आज चम्पा विश्वकर्मा पूरे ग्राम में चर्चा का विषय बनी हुई है। गणवेश कार्य के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत द्वारा चम्पा विश्वकर्मा के कार्य की सराहना कर शुभकामाएं दी गयीं।
    आज चम्पा विश्वकर्मा के जीवन में जो बदलाव आया है, उसका सारा श्रेय समूह एवं मिशन को देते नहीं थकती, चम्पा बाई विश्वकर्मा ग्राम में सर ऊंचा करके चलती है, जो समाज उन्हें हीन भावना से देखता था। वही समाज आज उनसे प्रेरणा लेता है। दिव्यांग होते हुये भी चम्पा विश्वकर्मा ने हार न मानकर जीवन में लड़ने का निर्णय लिया, और आज वह एक सफल उद्यमी के तौर पर जानी जाती है। दिव्यांग होते हुये भी उन्हें आज यह ऐहसास नहीं होता कि वह दिव्यांग है व पूरे समाज को प्रेरणा देने का कार्य कर रही है।