कोलेजियम

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उत्तराखंड के तत्कालीन चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की अनुशंसा मोदी सरकार द्वारा कई बार अमान्य की गई थी किन्तु कॉलेजियम के इस मुद्दे पर डटे रहने के कारण अंततः मोदी सरकार को अनुशंसा माननी पड़ी और जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाना पड़ा था । इसी तरह गुजरात हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस ए ए कुरेशी को हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव भी मोदी सरकार ने लटका कर रखा था । कॉलेजियम के डटे रहने के कारण अंतत जस्टिस कुरेशी को चीफ जस्टिस तो बनाना पड़ा पर उन्हें  मध्यप्रदेश का चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव मोदी सरकार ने नहीं माना और जस्टिस कुरेशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट जाना पड़ा । यह मात्र संयोग है कि ये दोनों जज जिनके मामले में मोदी सरकार  ने कॉलेजियम की अनुशंसा को टाला , अल्पसंख्यक वर्ग के हैं , नहीं तो मोदी अल्पसंख्यक वर्ग से बहुत प्रेम करते हैं , जिसका एक प्रमाण उनके द्वारा तीन तलाक को खत्म करना है । जयहिन्द ।