*कंप्यूटर घोटाले की जांच न होने पर डीजीपी ईओडब्ल्यू और एसपी को नोटिस* *पूर्व विधायक नरेंद्र कुशवाह भी विधानसभा में उठा चुके हैं मामला*

*कंप्यूटर घोटाले की जांच न होने पर डीजीपी ईओडब्ल्यू और एसपी को नोटिस* 


 *पूर्व विधायक नरेंद्र कुशवाह भी विधानसभा में उठा चुके हैं मामला* 
   
 *भिंड में २० साल पहले हुए घोटाला था, हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल ईओडब्ल्यू ने दर्ज की थी तत्कालीन सांसद व तत्कालीन कलेक्टर पर भ्रष्टाचार की एफआईआर, जांच न होने पर पेश की है अवमानना याचिका* 


ग्वालियर। 20 साल पुराने कंप्यूटर घोटाले में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन नहीं होने पर प्रस्तुत अवमानना याचिका पर उच्च न्यायालय ने डीजीपी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) तथा एसपी ईओडब्ल्यू को नोटिस जारी किए हैं।


उच्च न्यायालय में अशोक सिंह भदौरिया द्वारा एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के माध्यम से प्रस्तुत अवमानना याचिका पर पर यह आदेश दिए हैं। याचिका में कहा गया कि उच्च न्यायालय द्वारा २९ अप्रैल १९ को ईओडब्ल्यू को निर्देश दिए थे कि २० साल पहले भिंड जिले में हुए कंप्यूटर घोटाले की जांच शीघ्र पूरी की जाए। उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर कहा गया था कि इस घोटाले में भिंड के तत्कालीन सांसद एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल होने से इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा जांच नहीं की जा रही है। इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपा जाए। न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद शीघ्र जांच के आदेश दिए थ्। इस आदेश के बाद भी ईओडब्ल्यू ने इस मामले की जांच नहीं की तब यह अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई है।


इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा पूर्व सांसद डॉ रामलखन सिंह, तत्कालीन कलेक्टर मुक्तेश वाष्र्णेय सहित अन्य पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था।


 *स्कूलों में नहीं थी बिजली और खरीद लिए कंप्यूटर* 


इस मामले के घोटालेबाजों ने यह भी नहीं देखा कि उनके द्वारा जिन स्कूलों के लिए कंप्यूटर खरीदे जा रहे हैं क्या वहां बिजली कनेक्शन भी है या नहीं। हालांकि कंप्यूटर के नाम पर खाली डिब्बे आए थे। इस मामले में नेता और अधिकारियों के नाम आने के कारण ब्यूरो ने भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। कंप्यूटर साक्षरता कार्यक्रम के लिए वर्ष १९९९-२००० में भिंड के 23 स्कूलों का चयन किया गया था। इसके लिए 115 कंप्यूटर भेजे गए थे। कंप्यूटरों की खरीद के लिए डॉ रामलखन सिंह की सांसद निधि से एक करोड़ सात लाख रुपए की राशि दी गई थी। इन स्कूलों में कंप्यूटर ऑपरेटर भी नहीं थे न ही इसके लिए कोई नियुक्तियां की गईं थीं। खास बात यह है कि इस मामले में एक जनहित याचिका में उच्च न्यायालय ने जांच के निर्देश दिए थे। इस पर १३ जुलाई १८ को धारा ४२० एवं १२० बी के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।