नई दिल्ली. क्या आपने सुना है कि कभी किसी अपराधी ने अदालत में अपने ऊपर लगे देशद्राेह (Sedition) के आरोप स्वीकार कर लिए हों और सुनवाई कर रहे जज ने आरोपी के सामने हाथ जोड़कर सिर झुका दिया हो. हां, ऐसा तब हुआ था, जब पूरा भारत एकजुट होकर ब्रिटिश हुकूमत (British Rule) से आजादी के लिए लड़ रहा था. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मार्च, 1922 में लाखों भारतीयों का नेतृत्व कर रहे महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) पर यंग इंडिया (Young India) में देशद्रोहपूर्ण लेख लिखने के लिए मुकदमा चलाया गया था. प्रारंभिक सुनवाई में ही 11 मार्च, 1922 को महात्मा गांधी ने कोर्ट में स्वीकार कर लिया कि ये लेख मैंने ही लिखे हैं. बाद में इस केस को ग्रेट ट्रायल (Great Trial) के नाम से जाना गया.
ग्रेट ट्राईल