ए फौजी...
सर्जिकल स्ट्राइक नही, अब रण कर..
रण भी घनघोर कर, भीषण कर..
कट जाए खुद का शीश , फिक्र नही,
मगर खड़ा हो हिमालय सा, तन कर..
कर दे धरती लाल कायरों के खून से,
मंडरा जा अब तो तू, मौत बन कर..
रच दे इतिहास एक रक्त रंजित समर का,
कांपे पीढियां उनकी, दास्तां ये सुन कर..
खून उबल रहा एक एक भरत वंशी का,
शहीदों की शहादत भारी एक एक मन पर..
ए फौजी अकेला नही तू भूमि समर में,
तन भी अर्पण मन भी, अधिकार तेरा हमारे धन पर..
जय हिंद
डॉ सौरभ मिश्रा
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