कुछ गोडसे भक्त सोशल मीडिया में महात्मा गाँधी , नेहरू , इंदिरा गाँधी , राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी के फेक फोटो और वीडियो तैयार कर लंबे समय से पोस्ट करते रहे हैं । नरेंद्र मोदी को 2014 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने पर यह अभियान व्यापक रूप से सुनियोजित ढंग से चलाया गया और इन नेताओं की छवि युवा पीढ़ी की निगाह में धूमिल की गई । साथ ही मोदी की छवि बनाने के लिए भी फेक फोटो और वीडियो तैयार कर सोशल मीडिया में वायरल किये गए जो मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सहायक हुए । उस समय विपक्षी दल खास तौर से कॉंग्रेस के लोग किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए । मैं फेक फोटो और वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने का विरोधी हूँ तथा इस कृत्य की निंदा करता हूँ ।
अब तस्वीर बदल चुकी है । जैसे को तैसा की भावना से अब नरेंद्र मोदी के फेक फोटो औऱ वीडियो बड़ी संख्या में वायरल हो रहे हैं । फेक फोटो , वीडियो और खबर पोस्ट करना या शेयर करना एक दंडनीय अपराध घोषित हो चुका है किंतु शेयर करने वाले को पता नहीं रहता कि यह फेक है या असली है , जिस कारण अनजाने में वे भी अपराधी की श्रेणी में आ जाते हैं । अतः मेरा फेसबुक आदि सोशल मीडिया के प्रबंधकों को सुझाव है कि किसी ऐसी तकनीक को अपनाएं कि फेक सामग्री सोशल मीडिया पर पोस्ट हो ही नहीं । यदि यह संभव नहीं है तो फेक पोस्ट पर ही लिख कर आ जाये कि यह फेक है । सोशल मीडिया पर कड़ी से कड़ी आलोचना तो स्वीकार्य है किंतु फेक सामग्री के आधार पर किसी का भी चरित्र हनन निंदनीय है । जयहिन्द ।
फ़र्ज़ी