धन्वन्तरि जी

धन्वंतरि...!! 


काशी के संस्थापक 'काश' के प्रपौत्र, काशिराज 'धन्व' के पुत्र, धन्वंतरि महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ।  धन्वंतरि ने अमृतमय औषधियों की खोज की।  इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य, दिवोदास के शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र 'सुश्रुत संहिता' के प्रणेता, सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) थे।  काशी और देश भर में दीपावली के अवसर पर कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं...!!


सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिंआरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्,धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।


जिन्होंने निरंतर समस्त रोग दूर किये, जिन्होंने अच्छे आरोग्य की विधि बताई, जिन्होंने औषधियों के छुपे रहस्य को बताया उन धन्वंतरि भगवान को मैं सदैव प्रणाम करता हूँ...!! 


भगवान धन्वंतरि के अवतरण दिवस, #धनत्रयोदशी, गौ माता और बछड़े के पूजन के पर्व #वसुबारस कि सभी को अनन्य शुभ और मंगल  कामनायें...!!🙏❤️⛳️