दक्षिण पंत ओर रूढ़िवाद की ओर बड़ता देश

दक्षिणपंथ व रूढ़िवाद की ओर बढ़ता देश --
                एक ओर तो अमीर गरीब के बीच खाई को बढ़ावा दिया जा रहा है तो दूसरी ओर प्राचीन संस्कृति के नाम पर कुप्रथाओं व रूढ़ियों के पक्षधर महिलाओं के प्रति बहुत ही क्रूरता को अंजाम दे रहे हैं। बालिकाओं के प्रति बढ़ते रेप व रेप करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर डालना पूरी तरह से यह साबित करता है कि वे नही चाहते कि कोई भी बालिका घर से बाहर निकले। दरअसल वे मनुस्मृति के मानने वाले मनुवादी हैं जहाँ ब्राह्मण सबसे ऊपर स्थान पर है और उनकी वर्ण व्यवस्था में महिलाओं व शूद्रों का स्तर इतना निम्न है कि वे उन्हें छुआछूत के दायरे में रखना पसंद करते हैं। ऐसे दूषित समाज की कल्पना करके वे पता नहीं क्या पाना चाहते हैं? जबकि इतिहास गवाह है इस व्यवस्था ने हमें सदियों गुलाम बनकर रहने पर मजबूर किया हुआ था। एक छोटी सी बात इन लोगों के भेजे में नही आती है कि जिस देश के नागरिकों में जातीभेद, लिंगभेद, अमीर गरीब के मध्य चौड़ी होती खाई को बढ़ावा दिया जाएगा वह देश कैसे अवनति की ओर अग्रसर नही होगा? 
       कुछ निकम्मे लोग तो पहले से ही महिलाओं व निम्न जाति के लोगों पर शासन करने को अपना पुरुषत्व माने हुए हैं वे कभी बरदाश्त नही कर सकते कि महिलाएं व निम्न जाति के लोग उनसे आगे बढ़ जायें इसलिए वे अपने निकम्मेपन को छिपाने के लिए दक्षिणपंथी रूढ़िवाद व प्राचीन संस्कृति के पक्षधर बन बैठते हैं। कितना हास्यास्पद है वे देश व समाज के विकास के लिए नही वरन अपनी प्रभुत्व के लिए एक गलत बात का समर्थन करते हुए खामियों व कमियों से भरे मनुस्मृति को सर्वोपरि मानने की वकालत करते रहते हैं जो कि आज के परिवेश में सर्वथा गलत व त्रुटिपूर्ण है। और वैसे भी हम आज भी अच्छी चीजों को अपनाने से कभी पीछे नही हटते तो फिर प्राचीन संस्कृति की खराबियों को छोड़ने से क्यों मुँह मोड़ लेते हैं क्या इसलिए कि वे पुरषसत्ता व ब्राह्मणसत्ता की द्योतक हैं? आज के युग में यह बात आम हो चुकी है कि ईश्वर ने सबको समान बनाया है फिर भी हम ईश्वर के फैसले का सम्मान न करते हुए एक-दूसरे के प्रति डिसक्रिमेशन का भाव रखकर गर्व का अनुभव करते पाए जाते हैं। बड़े शान से कहेंगे जय परशुराम, जय क्षत्रिय (बाकी दो जातियों के उल्लेख की आवश्यकता नही है क्योंकि उनका समाज में कोई महत्वपूर्ण स्थान ही नही है।) पर सच तो यह है कि किसी भी जाति व धर्म से बड़ा देश व उसमें रहे लोग होते हैं उन सबका सम्मान ही हमें बड़ा बनाता है और तभी हम विकसित कहलाने योग्य होंगे।