चुनाव मैं राष्ट्रवाद

महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मतदान के सिर्फ एक दिन पहले भारतीय सेना द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर पर बमबारी कर आतंकी अड्डों को नष्ट करने की कार्यवाही को बहुत से लोगों ने चुनाव जीतने के लिए मोदी द्वारा राजनीतिक कदम बताया है । इन लोगों में मैं भी शामिल हूं । मोदी , उनके अंध भक्त और गोदी मीडिया ऐसे लोगों को देशद्रोही और पाकिस्तान का दोस्त बताने का दुष्प्रचार कर जनता को भ्रमित करते की आदत नहीं छोड़ेंगे । दुष्प्रचार करने वाले यह प्रश्न उठाते हैं कि क्या चुनाव की वजह से पाकिस्तान के हमले का कोई  जवाब नहीं दिया जाए ?  जवाब देने के लिए किसने रोका है ? मूल बात तो यह है कि मोदी की नीयत में खोट है । यदि चुनाव के समय पाकिस्तान कोई हरकत करता है ,तो उसका जवाब दीजिए , ईंट का जवाब पत्थर से दीजिए ,  लेकिन मीडिया के माध्यम से इस जवाब का प्रचार करने की क्या आवश्यकता है ? पाकिस्तान को जवाब देने के लिए कार्यवाही कर रहे हैं या वोटर्स को पटाने के लिए कर रहे हैं ?  वैसे वर्तमान निर्वाचन आयोग से कोई उम्मीद करना व्यर्थ है किन्तु उसको मेरा सुझाव है कि देश में कहीं भी कोई चुनाव हो रहा हो तो सेना को अपनी कार्यवाही करते रहना चाहिए किन्तु ऐसी कार्यवाही गुप्त रहनी चाहिए,  इस का प्रचार मीडिया या अन्य किसी साधन से करने पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए । यदि प्रचार किया जाता है तो इसे अपराध माना जाना चाहिए । मेरे इस सुझाव पर कुछ लोग कहेंगे कि किसी राज्य में विधानसभा चुनाव पर सेना की कार्यवाही का क्या असर पड़ेगा ? मेरा उत्तर है कि पहले तो असर नहीं पड़ता था क्योंकि विधान सभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते थे । अब मोदी में यह साहस नहीं है कि स्थानीय मुद्दों पर कोई चुनाव लड़ें । अब तो भारत की सेना को मोदी की सेना बताकर उसके पराक्रम , अनुच्छेद 370 और मंदिर के नाम पर चुनाव लड़े जा रहे हैं जिनका उस राज्य से कोई लेना देना नहीं है । इसलिए मैं कहता हूं कि भारत की धर्म निरपेक्ष तथा बेमिसाल सेना का राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयोग तत्काल बंद होना चाहिए । जयहिंद ।