मोदी ने कल कुरुक्षेत्र की एक चुनावी सभा में उन कथित गालियों को गिनवाया जो उनके कथानुसार विरोधियों ने उन्हें दीं । वे उन गालियों को और उनकी गंदगी को भूल गए जो उन्होंने स्वयं अपने श्रीमुख से दीं । मेरा सुझाव है कि अगली सरकार को सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन करना चाहिए जो इस बात की विस्तृत जाँच कर राष्ट्रपति को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे कि किसने कब किसको गाली दी । आयोग यह भी स्पष्ट करे कि इनमें से कौन शब्द गाली है , कौन नहीं । उदाहरण के लिए मोदी ने हिटलर शब्द को गाली बताया जो मेरे हिसाब से गाली नहीं है । इसके साथ ही एक नया कानून बनना चाहिए कि एक निर्धारित संख्या से अधिक गाली देने वाला व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित होगा । अगर ऐसा कानून बन गया तो गालियां देना अपने आप बन्द हो जायेगा ।जयहिन्द ।
बड़बोला