तुमने कलम उठाई है,
तो वर्तमान लिखना,
हो सके तो राष्ट्र का
कीर्तिमान लिखना,
चापलूस तो लिख
चुके हैं चालीसे बहुत,
हो सके तो तुम
हृदय का तापमान लिखना...
महलों में जो गिरवी है
गरिमा गॉवों की,
सहमी हुई सड़कों पर
हो सके तो तुम स्वाभिमान लिखना...
तुमने कलम उठाई है,
तो वर्तमान लिखना,
हो सके तो राष्ट्र का
कीर्तिमान लिखना,
चापलूस तो लिख
चुके हैं चालीसे बहुत,
हो सके तो तुम
हृदय का तापमान लिखना...
महलों में जो गिरवी है
गरिमा गॉवों की,
सहमी हुई सड़कों पर
हो सके तो तुम स्वाभिमान लिखना...